Faizane Talim Foundation (FTF) is a professionally managed, registered-certified, non-profit community support organization, founded in 2023 by Janab Altamash Siddiqui.

He wishes to bring positive social change through education in India. Faizane Talim Foundation is now an established development organization, working in the areas of development/deployment of technological applications for education, health care, social mobility, vocational skills, cultural heritage, survey and analysis, climate change, biodiversity, renewable energy and social doing. Sectoral Solutions for Integrated Community Development.

Faizane Talim Foundation’s innovative, visionary and value-based service delivery system will encourage local communities to embrace social change.

The organization is self-sustaining and will generate revenue through community support and user fee. All the institutions of Faizane Talim Foundation will prove to be milestone in their communities.

In the education sector alone, Faizane Talim Foundation will be one of India’s leading organizations for the less privileged.

Faizane Talim Foundation’s vision and effective partnerships will make a significant contribution to educating government and bi-lateral development actors about the development impact on society. Faizane Talim Foundation’s innovative, visionary and value-based social development approach will encourage local communities to adapt to social change.   Faizane Taaleem Foundation values ​​education for its contribution to civic, political and community life, and for its role in advancing social justice in a region of India where women are struggling for equal rights. To overcome such limitations, Faizane Taaleem Foundation will create women welcoming schools with girl friendly fee structures through its co-education culture. Educating a woman means educating the entire family. Education is about teaching subjects to a student and empowering them to bring change in the society.

Our physical infrastructure is very spacious and will be equipped with well-ventilated and well it classrooms, administrative blocks, play grounds, libraries and computer/science laboratories to provide an encouraging learning environment to the participants.

DIRECTORS

डायरेक्टर की कलम से

The Board of Directors of Faizane Talim Foundation consists of people from different walks of life who strongly believe in the potential of collective action that can be catalyzed with technical and financial support to enable people to fulfill their education, remove barriers to social and economic development and be enabled to do so. It is an independent board that plays a key role in setting the strategic policy direction for the organization and forms the basis of Faizane Talim Foundation’s strength and success.

मोहम्मद अल्तमश सिद्दीकी

डायरेक्टर

फैज़ाने तालीम फाउंडेशन

आज इस मुल्क में हमारी हैसियत क्या है और हम कहाँ है किसी से कुछ छुपा हुआ नही है जो हालात है और जो हो रहा उसके जिम्मेदार हम खुद है और कोई नही हमने कभी अपना और अपनों का कुछ बनाने का सोचा ही नही हम हमेशा दूसरों के भरोसे अपनी जिंदगी गुजार दी हमारे मुल्क में बहोत सी ऐसी क़ौम है जिन्होंने अपने स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल और भी दीगर मामलात में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और हम कहाँ है किसी से छुपा हुआ नही |

इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए अपनी आने वाली नस्लों को आगे बढ़ाने उनको दीनी और दुनियाबी तालीम से मालामाल कर उनके लिए रास्ता बनाएं ताकि वो आगे चलकर IAS,IPS, डॉक्टर,इंजीनियर ,पुलिस,आर्मी,वकील,प्रोफेसर, और भी फील्ड में अपना मकाम बनाएं इसी लिए आने वाली नस्लों को दीनदार और उनको दुनियाबी एतबार से मजबूत करने के लिए एक आने वाले 30 साल तक का प्रोग्राम बनाया गया है इन 30 सालों में अगर हमारी क़ौम के सभी लोग साथ देते हैं तो इंशाअल्लाह इन 30 सालों के दौरान हमारे बच्चे हमारी क़ौम बुलन्दी पे होगी इसी प्रोग्राम को लेकर हमने फैजाने तालीम फाउंडेशन की नींव रखी ताकि आपके ताऊन से हम अपने मकसद को हासिल कर सकें तो आइए हम सब मिलकर आने वाले 30 सालों में अपनी क़ौम अपनी नस्लों के मुस्तकबिल के लिए एकजुट होकर काम करें।

फरहा खान

डायरेक्टर

फैज़ाने तालीम फाउंडेशन

एजुकेशन के बिना इंसान की जिंदगी बेकार है हमारा दीन भी हमें इल्म हासिल करने कहता है अल्लाह जब अपने बंदों से पहली बार मुखातिब हुआ तो पहला पैगाम तालीम का था रब ने कहा इकरा (पढ़ो) एक वक्त था जब हमारी क़ौम हुक्मरानी किया करती थी और हुक्मरानी तब तक कायम थी जब तक हमारी क़ौम पढ़ी लिखी थी ये मैं नही कह रही बल्कि इतिहास कह रहा जब से हमारी क़ौम ने तालीम का दामन छोड़ा है हम पिछड़ते ही चले गए आज हालात हम सबके सामने है आज हम पिछड़ो से भी पिछड़ गए हैं |

आज हमारी क़ौम को सोचने की और कुछ करने की जरूरत है काफी सोचविचार कर एक 30 सालों का प्रोग्राम बनाया गया इन 30 सालों में हम अपनी स्कूल अपना कॉलेज अपनी यूनिवर्सिटी बनाकर अपने बच्चों को दीनी और दुनियाबी तालीम देकर आने वाले 30 सालों में अपनी क़ौम और अपनी आने वाली नस्लों का मुस्तकबिल सवारेंगे ताकि हमारी क़ौम की हमारी नस्लों की और हमारे मुल्क के हालात को बदल सकें।

शाकिर कुरैशी

डॉयरेक्टर एवं विधिक सलाहकार

फैज़ाने तालीम फाउंडेशन

सभी काबिले कद्र साथियों को अस्सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाह,,, इल्म क्या है ,,इल्म रौशनी है जिससे अल्लाह की राज़ कायनात की हक़ीक़त ज़ाहिर होती है,, इल्म छुपा हुआ खज़ाना है,, फरमाने आलीशान है : इल्म से चार ख़ास लोग फायदा उठाते हैं पहला सवाल करने वाला दूसरा इल्म के बारे में बातें करने वाला तीसरा सुनने वाला चौथा उल्मा को दोस्त रखने वाला,, याद रहे इल्म वालों के क़रीब नाकामी नहीं आती,, इसी मक़सद को लेकर फ़ैज़ाने तालीम फाउंडेशन कायम किया गया है आईए हम आप सब मिलकर इसे कामयाब करें,, शुक्रिया आपका अपना वकील शाकिर कुरैशी, डायरेक्टर तालीम फाउंडेशन |🌹🌹🤲🕋🤲🌹🌹

मौलाना मोहम्मद फाईक रज़ा

दुआओं का तालिब

गोबरा नवापारा राजिम जिला, रायपुर, छत्तीसगढ़ |

अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाही वबरकतोहु | अल्ईल्मो नुरुन (ईल्म रौशनी है) ईस्लाम एक आफाकी (पुरी दुनिया से तअल्लुक रखने वाला) मज़हब है और अपने माननें वालों को आफाकी देखना चाहता है इसके लिए बुनियादी तौर पर ईल्म की जरूरत है ईल्म औलादें आदम की वरासत है जहां से मिले ले लेना चाहिए हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के आसमान पर उठाए जाने के तकरीबन पांच सौ एकहत्तर साल बाद जब अल्लाह पाक अपने बन्दों से मुखातिब हुवा तो पहला पैगाम तअलीम का था रब ने कहा ईकरा (पढ़ो) |

जब तक हम तअलीम से वाबस्ता रहे फातेह व कामरान बन कर रहे हुसुले ईल्म के हवाले से ये फरमाने रिसालत किस कदर वसीअ है के ईल्म हासिल करो चाहे चीन जाना पड़े। जाहिर है चीन में दर्से कुरान व हदीस तो नहीं दिया जा रहा था मतलब ये के लम्बी मसाफत (दुर तक सफर करना) तै करो जहां जहां से ईल्म मिल सके हासिल करो मुल्की पैमाने पर मुसलमानो को चाहिए तअलीमी ईदारे खोलें और आधी रोटी खाओ बच्चों को पढ़ाओ पर अमल करें। तअलीम ही हमारी हर बिमारी का ईलाज है।

 

रायपुर के कुर्बो जवार में रहने वाले लोगों ने यकजहती के साथ ईस तरह चलने की कोशिश की है बिरादरे मोहतरम जनाब मोहम्मद अल्तमश सिद्दीकी साहब की निगरानी में ये कारवां ने मोहब्बत फैज़ाने तालीम फाऊंडेशन की दागे बैल (किसी काम की शुरुआत करना) डाल चुका है। मुश्किल नीस्त के आसान न शवद। यानी कोई मुश्किल ऐसी नहीं जो आसान न हो‌ खुदा करे हम ईल्म की उन ऊंचाइयों पर पहुंचे जहां से दुनिया का हर कद बौना दिखाई देता है आप सब की दुआ और ताऊन दरकार है। अल्लाह पाक हमें हिम्मत व हौसला अता फरमाए। आमीन सुम्मा आमीन |

शमशुद्दीन कादरी मकराना

सरपरस्त

फैज़ाने तालीम फाउंडेशन

मोहतरम जनाब असस्सलामुअलैकुम हम हिन्द के मुसलमान सालों से सोचते और कहते आये हैं कि मुसलमानों के स्कूल कॉलेज हॉस्पिटल होने चाहिए लेकिन हमने ना कोशिश की और ना ही हमने अपने पैसों को सही जगह लगाया मेरे भाइयों हमने अपने पैसों को उर्स में खर्च किया लंगरों में कवल्ली में जुलूसों में बेदर्दी से खर्च किया मैं उर्सों व लंगर करने के लिए मना नही कर रहा हम लंगर के लिए उर्स के लिए जलसों जुलूसों के लिए लाखों रुपये चंदे देते व खर्च करते हैं अगर उन्ही पैसों से कुछ पैसे एकदम मामूली सी रकम हर महीने निकाले तो वो मामूली रकम ज्यादा नही सिर्फ 1 रुपया है सोचिए भारत में हमारी कुल आबादी 25 करोड़ है |

अगर हम हर रोज एक रुपये देते हैं तो रोज 25 करोड़ रुपये इक्कठे होते हैं और हर रोज हम पांच स्कूल या दो कॉलेज या एक यूनिवर्सिटी खोल सकते हैं हमको किसी से किसी भी किस्म की मदद की जरूरत नही बस हम अपने आप में अहद कर लें कि हमें हमारे घर में जितने भी मेम्बर हैं उसके हिसाब से हर रोज एक रुपया देना है फिर वो रकम चाहे आप रोज दीजिए हफ्ते के हिसाब से दीजिए महीने के हिसाब से दीजिए या साल के हिसाब से दीजिए पर दीजिए जरूर आपका एक रुपया रोज हमारी क़ौम को इंशाअल्लाह वो तरक्की अता करेगा जिसकी तवक़्क़ो भी हमें नही । हमारी क़ौम के कुछ स्कूल और कॉलेज तो हैं लेकिन वो कुछ ही जगह है अल्लाह के करम से अल्लाह के हबीब के सदके और तमाम आलमे इस्लाम की दुआओं से अल्लाह ने हिदायत अता की और फैजाने तालीम फाउंडेशन ने इस काम का बीड़ा उठाया है बस आपको फैज़ाने तालीम फाउंडेशन के अकाउंट में या जो स्कैनर दिया जा रहा उसमें एक रुपये के हिसाब से रकम भेजनी है।

रकम कैसे जोड़ना है उसका तरीका समझ लीजिए मान लीजिए किसी के घर में मर्द औरतों और बच्चों को मिलाकर पांच लोग हैं तो एक दिन का पांच रुपये होते हैं हफ्ते के 35/- रुपये होते हैं और महीने के 150/- रुपये होते हैं और साल के 1800/- रुपये होते हैं आप चाहें तो रोज एक रुपये के हिसाब से दे आप चाहें तो हफ्ते महीने या साल के हिसाब से दे और कोई भाई अगर ज्यादा देना चाहे तो दे सकते हैं आप चाहें तो तालीम फाउंडेशन में सदका, जकात, फितरा, भी दे सकते हैं मोहतरम हज़रात फैज़ाने तालीम फाउंडेशन का मेन मिशन है कि पूरे भारत के हर गांव में हमारी स्कूल हो व हर जिले में हमारे कालेज हो और हर प्रदेश में हमारी यूनिवर्सिटी हो और ये मुमकिन है और ये सिर्फ और सिर्फ आपके एक रुपये से ही इंशाअल्लाह मुमकिन होगा अगर हम एक पान या गुटका भी रोज एक कम करके उसका पैसा तालीम में लगा दें तो बहोत है।

जिनकी आमदनी अगर महीने की 5000/- है तो वो भी 100/- महीने जकात की नीयत से निकाले तो हमें किसी से मांगने की जरूरत नही हम अपने ही पैसों से इंशाअल्लाह ये सब करेंगें |

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